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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.

श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका more info स्तोत्रमुत्तमम्।

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा बॉलीवुड

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

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